Sunday, February 28, 2010
Monday, February 15, 2010
मौसम मतवाला
मौसम मतवाला
पिला गया सबको ही बैरी
पूरी मधुशाला
दादाजी बोले दादी से- चलो सनीमा जाएंगे
मिलकर डिस्को डान्स करेंगे जरा नहीं शरमाएंगे
मैं हूँ देवानन्द अभी तुम मेरी मधुबाला
छोटे देवरिया को भाए बड़की भाभी के नखरे
जेठ और नन्दोई जी के संयम के मोती बिखरे
और ससुर जी भी बालों को करने लगे काला
वृन्दावन की कुञ्ज गलिन में निकली ग्वालों की टोली
बचती डोले राधारानी भींज गई चूनर चोली
हाथों में पिचकारी लेकर ढूँढे नन्दलाला
कवि सम्मेलन में कवियों ने छककर भंग चढ़ाई रे
कविता करना छोड़ लगे करने वो हाथापाई रे
बेचारे संयोजक जी का निकला दीवाला
पिला गया सबको ही बैरी
पूरी मधुशाला
दादाजी बोले दादी से- चलो सनीमा जाएंगे
मिलकर डिस्को डान्स करेंगे जरा नहीं शरमाएंगे
मैं हूँ देवानन्द अभी तुम मेरी मधुबाला
छोटे देवरिया को भाए बड़की भाभी के नखरे
जेठ और नन्दोई जी के संयम के मोती बिखरे
और ससुर जी भी बालों को करने लगे काला
वृन्दावन की कुञ्ज गलिन में निकली ग्वालों की टोली
बचती डोले राधारानी भींज गई चूनर चोली
हाथों में पिचकारी लेकर ढूँढे नन्दलाला
कवि सम्मेलन में कवियों ने छककर भंग चढ़ाई रे
कविता करना छोड़ लगे करने वो हाथापाई रे
बेचारे संयोजक जी का निकला दीवाला
Saturday, February 13, 2010
वेलेन्टाइन डे
वेलेन्टाइन डे पर
गजब को सीन हुयो एसो
कॉलेज की गली में
एक भैंसो आजु-बाजु देखकर
भैंस कनै आयो
नीचलो होठ टेढो करके
मंद-मंद मुस्कायो
भैंस पहले तो घबराई
पाछै धीरे सी रम्भाई
भैंसो सोच्यो
आ प्यार की छाप है
रास्तो एकदम साफ है
अपणे मुँह से
लाल गुलाब निकाल के
भैंस ने दे दियो
जानेमन! आई लव यू
कह दियो
भैंस भी भैंसा की दिवानी हो गयी
रोज सींग मारती-मारती
स्याणी हो गयी
वा शरम से लजाबा लागगी
नजर नीची करी
पूँछ ऊँची करी
अर गोबर करके भागगी
रोज तळाई का पानी में
मुँह देख देखकर
बाळ बनाबा लागगी
भैंस और भैंसा को प्यार
परवान चढ गयो
भैंस के प्यार से
भैंसा को स्टेट्स बढ गयो
बात भैंस के मालिक तक पहुँची
वो बोल्यो-
ई बेरोजगार भैंसे से
सगाई करबा की रिस्क कोन्या लूंगो
कोई सरकारी भैंसो देखूँगो
सुणते ही भैंस बावली हो गयी
भैंसे से मिलने को उतावली हो गयी
दोनों ने सींगों से सींग मिलाकर
सोगन काढी
जठै रहेगो पाडो बठै रहेगी पाडी
दोनों प्लान बनाने लग गया
एक रात मौका पाकर भग गया
दोन्यां के भागते ही सारी बस्ती जागी
सारी बस्ती में चर्चा होने लागी
नया पशु बीं जोडी ने अपणो
आदर्श बतावे हा
पुराणा पशु पालक भैंस मालिक नै हडकावे हा
पुलिस में एफआईआर लॉज कराओ
भैंस की जल्दी खोज कराओ
मंत्री फोन पर अर्ज करी
जण थाणादार रिपोर्ट दर्ज करी
थाणेदार दोन्यां का
मोबाइल नम्बर प्रेस कर्या
टावर का स्थान
ट्रेस कर्या
जाब्ता लेकर दबिश पटकी
और भैंस-भैंसा की
जोडी ने जा झटकी
पकड में आते ही
भैंस बोली-
थाणादारजी मैं थाने
सधी-सधी कहस्यूँ
मैं ई भैंसा के साथ ही रहस्यूँ
थे मनै कमजोर
मत समझो
खूब खाई खेली हूँ
पहले से ही मीडिया ने
बुलाय मेली हूँ
थे फिर भी ना मान्या तो मैं
पशुवाधिकार आयोग में जाऊँगी
थाँका खोटाँ कारनामा गिणाऊँगी
सुणता ही थानेदार ढीलो पडगो
चेहरो पीळो पडगो
वो बोल्यो सब
अपने-अपने घर जावो
म्हारी जान मत खावो
मैं तो ईतना ही कह रह्यो हूँ
नव-विवाहताँ ने
सुखी जीवन को आशीर्वाद दे रह्यो हूँ
गजब को सीन हुयो एसो
कॉलेज की गली में
एक भैंसो आजु-बाजु देखकर
भैंस कनै आयो
नीचलो होठ टेढो करके
मंद-मंद मुस्कायो
भैंस पहले तो घबराई
पाछै धीरे सी रम्भाई
भैंसो सोच्यो
आ प्यार की छाप है
रास्तो एकदम साफ है
अपणे मुँह से
लाल गुलाब निकाल के
भैंस ने दे दियो
जानेमन! आई लव यू
कह दियो
भैंस भी भैंसा की दिवानी हो गयी
रोज सींग मारती-मारती
स्याणी हो गयी
वा शरम से लजाबा लागगी
नजर नीची करी
पूँछ ऊँची करी
अर गोबर करके भागगी
रोज तळाई का पानी में
मुँह देख देखकर
बाळ बनाबा लागगी
भैंस और भैंसा को प्यार
परवान चढ गयो
भैंस के प्यार से
भैंसा को स्टेट्स बढ गयो
बात भैंस के मालिक तक पहुँची
वो बोल्यो-
ई बेरोजगार भैंसे से
सगाई करबा की रिस्क कोन्या लूंगो
कोई सरकारी भैंसो देखूँगो
सुणते ही भैंस बावली हो गयी
भैंसे से मिलने को उतावली हो गयी
दोनों ने सींगों से सींग मिलाकर
सोगन काढी
जठै रहेगो पाडो बठै रहेगी पाडी
दोनों प्लान बनाने लग गया
एक रात मौका पाकर भग गया
दोन्यां के भागते ही सारी बस्ती जागी
सारी बस्ती में चर्चा होने लागी
नया पशु बीं जोडी ने अपणो
आदर्श बतावे हा
पुराणा पशु पालक भैंस मालिक नै हडकावे हा
पुलिस में एफआईआर लॉज कराओ
भैंस की जल्दी खोज कराओ
मंत्री फोन पर अर्ज करी
जण थाणादार रिपोर्ट दर्ज करी
थाणेदार दोन्यां का
मोबाइल नम्बर प्रेस कर्या
टावर का स्थान
ट्रेस कर्या
जाब्ता लेकर दबिश पटकी
और भैंस-भैंसा की
जोडी ने जा झटकी
पकड में आते ही
भैंस बोली-
थाणादारजी मैं थाने
सधी-सधी कहस्यूँ
मैं ई भैंसा के साथ ही रहस्यूँ
थे मनै कमजोर
मत समझो
खूब खाई खेली हूँ
पहले से ही मीडिया ने
बुलाय मेली हूँ
थे फिर भी ना मान्या तो मैं
पशुवाधिकार आयोग में जाऊँगी
थाँका खोटाँ कारनामा गिणाऊँगी
सुणता ही थानेदार ढीलो पडगो
चेहरो पीळो पडगो
वो बोल्यो सब
अपने-अपने घर जावो
म्हारी जान मत खावो
मैं तो ईतना ही कह रह्यो हूँ
नव-विवाहताँ ने
सुखी जीवन को आशीर्वाद दे रह्यो हूँ
Monday, February 8, 2010
सुरेन्द्र दुबे को 'श्री हास्य-सम्राट सम्मान
हास्य कवि सुरेन्द्र दुबे को श्री सीमेंट लिमिटेड ब्यावर की ओर से 'श्री हास्य-सम्राट' सम्मान से नवाजा गया है। पिछले दिनों 'काका हाथरसी पुरस्कार' मिलने के बाद ब्यावर से जुड़ी इस काव्य प्रतिभा का यहाँ भव्य अभिनंदन किया गया। श्री सीमेंट के कार्यकारी निदेशक एमके सिंघी तथा श्री लेडिज क्लब की अध्यक्ष चंद्र सिंधी ने उन्हें 51 हजार रुपए का चैक, रथ पर सवार गणपति की प्रतिमा, शॉल, श्रीफल व प्रशस्ति पत्र भेंट किया।
बांगड़ नगर स्थित श्री ऑडिटोरियम में आयोजित समारोह में दुबे का अभिनंदन करते हुए सिंघी ने कहा कि ब्यावर की इस साहित्यिक प्रतिभा का राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान होना हमारे लिए गौरव की बात है। श्री परिवार उनका यहाँ अभिनंदन कर अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहा है। कार्यक्रम की शुरुआत में माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर उसके समक्ष दीप प्रज्ज्वलित किया गया। श्री परिवार की बालिकाओं द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई। कंपनी उपाध्यक्ष पीसी झंवर ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि श्री सीमेंट देश की अग्रणी कंपनी बन गई है। इसमें काम करने वाले अधिकारी व कर्मचारी सदैव प्रसन्न रहकर सकारात्मक सोच को आगे बढ़ाते हैं। यह खुशनुमा माहौल का परिणाम है। हमारे सदस्य और ज्यादा सहज रहकर आपसी स्नेह को बढ़ाएं इसके लिए दुनियाभर में हँसी-बाँटने व बिखेरने वालों का सम्मान कर उनसे प्रेरणा लेने का यह आयोजन निमित्त है। अंकुर उपाध्याय ने हास्य कवि सुरेन्द्र दुबे का परिचय कराया। समारोह में पीके त्रिपाठी, सीआर बिहाणी, आरसी बोहरा, आरके मानावत, जीएल नंदवाना, राकेश भार्गव, एससी सुथार सहित अन्य ने भी कवियों का स्वागत किया व शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया।अभिनंदन के बाद डॉ. कीर्ति काले (दिल्ली) नंदकिशोर 'अकेला' (आलोट), अशोक सेवदा (डीडवाना), कमल माहेश्वरी (अरांई) ने अपनी हास्य-व्यंग्य की कविताओं से देर रात तक श्रोताओं को लोट-पोट कर दिया।रामप्रसाद कुमावत को श्री परिवार द्वारा स्मृति चिन्ह देकर सफल आयोजन के लिए आभार जताया। अंत में वरिष्ठ अधिकारी पीके त्रिपाठी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
बांगड़ नगर स्थित श्री ऑडिटोरियम में आयोजित समारोह में दुबे का अभिनंदन करते हुए सिंघी ने कहा कि ब्यावर की इस साहित्यिक प्रतिभा का राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान होना हमारे लिए गौरव की बात है। श्री परिवार उनका यहाँ अभिनंदन कर अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहा है। कार्यक्रम की शुरुआत में माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर उसके समक्ष दीप प्रज्ज्वलित किया गया। श्री परिवार की बालिकाओं द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई। कंपनी उपाध्यक्ष पीसी झंवर ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि श्री सीमेंट देश की अग्रणी कंपनी बन गई है। इसमें काम करने वाले अधिकारी व कर्मचारी सदैव प्रसन्न रहकर सकारात्मक सोच को आगे बढ़ाते हैं। यह खुशनुमा माहौल का परिणाम है। हमारे सदस्य और ज्यादा सहज रहकर आपसी स्नेह को बढ़ाएं इसके लिए दुनियाभर में हँसी-बाँटने व बिखेरने वालों का सम्मान कर उनसे प्रेरणा लेने का यह आयोजन निमित्त है। अंकुर उपाध्याय ने हास्य कवि सुरेन्द्र दुबे का परिचय कराया। समारोह में पीके त्रिपाठी, सीआर बिहाणी, आरसी बोहरा, आरके मानावत, जीएल नंदवाना, राकेश भार्गव, एससी सुथार सहित अन्य ने भी कवियों का स्वागत किया व शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया।अभिनंदन के बाद डॉ. कीर्ति काले (दिल्ली) नंदकिशोर 'अकेला' (आलोट), अशोक सेवदा (डीडवाना), कमल माहेश्वरी (अरांई) ने अपनी हास्य-व्यंग्य की कविताओं से देर रात तक श्रोताओं को लोट-पोट कर दिया।रामप्रसाद कुमावत को श्री परिवार द्वारा स्मृति चिन्ह देकर सफल आयोजन के लिए आभार जताया। अंत में वरिष्ठ अधिकारी पीके त्रिपाठी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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