Sunday, September 27, 2015

सड़क सुरक्षा सप्ताह


विकसित देशों में ट्रैफिक होता है। हमारे यहाँ ट्रैफिक नहीं होता, ट्रैफिक की जगह हमारे यहाँ पर जो होता है वह बड़ा 'टेरेफिक' होता है। मैं तो इतना सेफ होकर चलता हूँ कि कार भी हैलमेट पहन कर ही चलाता हूँ। एक्सीडेन्ट से मुझे उतना डर नहीं लगता जितना कि मैं ट्रैफिक के सिपाही से डरता हूँ । पता नहीं कब चालान ठोक दे, यह कहते हुए कि आज से कार-ड्राइवर के लिए भी हैलमेट कम्पलसरी कर दिया है।
मैंने जेब्रा क्रासिंग पर कार रोक दी। साइड वाली सीट पर बैठे हुए मेरे मित्र ने महाभारत के अर्जुन वाले अन्दाज में कहा-''मित्र रथ को आगे बढाओ।'' मैंने कहा-''वत्स! रेड लाइट हो रही है। ग्रीन लाइट होने तक हमें यहीं प्रतीक्षा करनी पड़ेगी क्योंकि सामने पुलिसमैन का वेश धारण करके विदुर जी खड़े हैं। वे बड़े ईमानदार हैं। चालान ठोककर ही मानेंगे।''
मैं उसे समझा ही रहा था कि इतने में बाइक पर सवार दो युवक रेड लाइट और विदुरजी दोनों को एक साथ धता बताते हुए निकल गए।
उसने पूछा-''ये कौन हैं?''
मैंने कहा-''अरे वत्स! क्या तुम इन्हें नहीं पहचानते? ये बाइक सवार दुर्योधन है। इसके पीछे जो विराजमान है वह राजकुमार दुशासन है। इनके पिता धृतराष्ट्रजी राज्य सरकार में मंत्री हैं इसलिए ही तो ये कानून को नहीं मानते हैं। विदुर जी का अनादर करना तो इनका जन्म सिद्ध अधिकार है।''
तभी हमारी नजर चौराहे पर टँगे हुए बैनर पर पड़ी। मित्र ने कहा-''शायद 'सड़क सुरक्षा सप्ताह' चल रहा है। इस सप्ताह सड़कों की सुरक्षा की जानी चाहिए। तुम अपने आसपास की सड़कों पर किसी को गड्डा मत खोदने देना। गुटका खाकर सड़क पर पीकोत्सर्जन भी नहीं करना है। सड़क के किनारे वे कार्य भी नहीं करने हैं जो कि वहाँ नहीं किए जाने चाहिए क्योंंकि इस सप्ताह सड़कों की सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है।''
मैंने कहा-''वत्स! ये सड़क सुरक्षा सप्ताह ट्रैफिक के नियमों का पालन करने के लिए हैं ताकि सड़क पर चलने वालों की जान बचाई जा सके।''
वह बोला-''नाम से तो लगता है कि सड़कों की सुरक्षा करो। अरे जब नाम ही डिफेक्टिव है तो काम कैसे इफेक्टिव होगा?''
कार में सवार राजकुमार जब जाम पीते हुए ड्राइविंग करते हैं तो जाम लगना लाजमी है। आदमी घर से निकलता है तो गारंटी नहीं होती कि वह शाम को सुरक्षित लौट भी आएगा। आने वाले समय में गृहणियाँ प्रतिदिन अपने टू व्हीलर की पूजा करती नजर आएँगी। वे बाइक या स्कूटर को प्रणाम करते हुए प्रार्थना करेंगी- ''हे दुपहिया! तू मेरे साथ दहेज में आया है। इसलिए तू मेरे भाई के समान है। मेरे सुहाग की सुरक्षा करना तेरा कर्तव्य है। इन्हें जैसा लेकर जा रहा है शाम के वक्त वैसा ही साबुत लौटा लाने की जिम्मेदारी भी तेरी ही है। मार्ग में खौफनाक ट्रैफिक तुझे ऐसा नहीं करने देगा लेकिन वादा कर कि तू तेरी इस बहिन के सुहाग की रक्षा करेगा।''
कुछ साल पहले मैंने एक कार्टून देखा था। शायद आर. के. लक्ष्मण का था। कार्टून एक खबर पर था। खबर थी कि सन् दो हजार दस तक मुम्बई में पन्द्रह लाख चार पहिया वाहन हो जाएँगे। कार्टून के नीचे केप्शन में लिखा था कि ''जिसे रोड क्रॉस करना हो अभी कर ले।''
वाकई वाहन इतने बढ़ गए हैं कि पार्किंग के लिए जगह नहीं बची। एक चुटकुले के अनुसार एक आदमी दोपहर के वक्त सड़क के किनारे दोनों हाथ-पाँव फैलाकर अजीबोगरीब मुद्रा में खड़ा था। कारण पूछने पर उसने बताया कि मेरी बीवी शोरूम से कार खरीदने गई है और मैं यहाँ पर पार्किंग के लिए जगह रोककर खड़ा हूँ।
कोलकाता में तो सचमुच भयानक किस्म का ट्रैफिक होता है। जाम में फँसने के बाद आपकी कार सेन्टीमीटर के हिसाब से आगे सरकती है। वहाँ रात को तीन बजे एक सूटेड-बूटेड नौजवान दहाड़ें मारकर रो रहा था।
मैंने पूछा- ''तू कौन है और क्यों रो रहा है?''
वह बोला-''मैं दूल्हा हूँ।''
मैंने पूछा- ''फिर बारात कहाँ है?''
उसने जवाब दिया- ''वह जाम में फँस गई।''
मैंने पूछा-''घोड़ी?''
वह बोला-''घोड़ी ऐसी दौड़ी कि रेडलाइट क्रास करके आगे निकल गई। पुलिस वाले ने रोक लिया। घोड़ी को कांजी हाउस भेज दिया। मैंने ले देकर पिण्ड छुड़ाया। एक स्कूटर कबाड़ा और आगे बढ़ा तो जल्दबाजी में नोएन्ट्री में घुस गया। फिर चालान हुआ। वापस आया तो वन वे में उलझ गया। मैं मुहुर्त के समय तक ससुराल पहुँच ही नहीं पाया। अभी-अभी मोबाइल पर एसएमएस मिला है कि दुल्हन की शादी पड़ोस में रहने वाले किसी युवक के साथ कर दी गई है। तुम्हीं बताओ रोऊँ नहीं तो क्या हँसूं?




-सुरेन्द्र दुबे (जयपुर)

सुरेन्द्र दुबे (जयपुर) की प्रकाशित पुस्तक
'डिफरेंट स्ट्रोक'
में प्रकाशित व्यंग्य लेख

सम्पर्क : 0141-2757575
मोबाइल : 98290-70330
ईमेल : kavidube@gmail.com  

No comments:

Post a Comment